अजा एकादशी 2020: भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अजा एकादशी कहा जाता है। अजा एकादशी 15 अगस्त (शनिवार) को उपवास है। ऐसा माना जाता है कि अजा एकादशी का व्रत करने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि की पूजा विधि-विधान से की जाती है। कहा जाता है कि अजा एकादशी का व्रत और पूजन करने वालों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि अजा एकादशी के दिन व्रत कथा सुनने या पढ़ने से श्रीहरि सभी कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। इसलिए अजा एकादशी के दिन व्रत रखने का विशेष महत्व है।

जानिए अजा एकादशी व्रत कथा (Aja Ekadashi 2020 Vrat Katha)
अजा एकादशी की व्रत कथा सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र से जुड़ी है। राजा हरिश्चंद्र अपने राज्य को प्रसन्न रखते थे। राज्य में चारों-ओर खुशहाली रहती थी। समय बिता और राजा का विवाह हुआ। राजा को एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। राजा अत्यंत वीर और प्रतापी थे। एक दिन राजा ने अपने वचन को निभाने के लिए अपने राज पाठ का दान कर दिया और पुत्र और पत्नी तक को बेच दिया। राजा हरिश्चंद्र खुद भी एक चंडाल के सेवक बन गए।

गौतम ऋषि ने राजा हरिश्चंद्र को इस संकट से निकलने का उपाय बताया । हरिश्चंद्र ने ऋषि-मुनि के कहे अनुसार अजा एकादशी का व्रत रखा और विधि-विधान से पूजन किया। अजा एकादशी के व्रत से राजा के पिछले जन्म के सभी पाप कट जाते हैं और उन्हें खोया हुआ परिवार और राजपाट फिर से मिल जाता है।
इसलिए सभी उपवासों में अजा एकादशी व्रत को सर्वश्रेष्ठ बताया जाता है। कहते हैं कि अजा एकादशी व्रत रखने वालों को पापों से मुक्ति मिलती है। एकादशी व्रत को रखने वाले व्यक्ति को आहार, बर्ताव, इंद्रियों और चित पर संयम रखना होता है।