वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस जन्म की कुंडली जातक के पिछले जन्म के कर्मो का लेखा जोखा होती है। जन्म कुंडली मे पिछले जन्मो के कर्मो के अनुसार ही राजयोग और दुर्योग या दोष का निर्माण होता है। जहां कुंडली मे बने राजयोग जातव के जीवन को सुगम बनाते है वही कुंडली मे बनने वाले दुर्योग या दोष जातक के जीवन मे संघर्ष पैदा करते है।

जन्म कुंडली मे बने पंच महापुरुष योग तो जीवन सरल और सुगम बन जाता है
एक ऐसा योग है जिसमें जातक को सभी प्रकार के सुख मिलते हैं। यह योग अपनी राशि में पांच ग्रहों के स्थित होने एवं उच्च होकर केन्द्र में स्थित हाने पर बनता है। पांच ग्रहों मंगल,बृहस्पति, शुक्र, बुध व शनि में से किसी एक ग्रह अथवा एकाधिक ग्रहों की किसी विशिष्ट स्थिति में होने पर यह योग बनता है।
दुर्योग देते है संघर्ष के बाद बड़ी सफलता
अब आते है अपने मुख्य मुद्दे पर कुंडली मे बनने वाले दुर्योग के बारे मे केंद्रुम योग, कालसर्प योग और अनेक प्रकार के दुर्योग होने पर जातव का जीवन एक निश्चित अवधि तक के लिए संघर्ष मे बीतता है और यह संघर्ष जातक को नई ऊंचाइयों पर ले कर जाता है।

संघर्ष मानव के जीवन मे बहुत बड़ा प्रभाव डालता है अब आपको उदाहरण देकर बताए तो एक समय था जब अर्नब गोस्वामी जो एक न्यूज़ चैनल मे न्यूज़ एंकर थे कुंडली बने दुर्योग के कारण उन्हे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा और संघर्ष के साथ जीवन जीना पड़ा पर यही संघर्ष उनके जीवन को नई ऊंचाइयों पर ले गया आज अर्नब गोस्वामी खुद एक न्यूज़ चैनल के मालिक है, जहां जब वो न्यूज़ एंकर थे तब बहरतीय दर्शक उनके सपोर्ट मे नही थे वहीं अब भारतीय दर्शको का एक बड़ा तबका अब अर्नब के पक्ष मे सदैव खड़ा नजर आता है।
कुंडली मे बने दुर्योग या दोष मनुष्य को निखारने का काम करते है अगर सोने को तपाया न जाए तो वो निखरता नही है बस आपको सकारात्मक सोच के साथ उस संघर्ष के समय का सदुपयोग करना है। सरल और सुगम जीवन आपको ऊंचाइयों या शिखर पर नही ले जा सकता, संघर्ष ही ये कर सकता है।