केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में शांति निकेतन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की कुर्सी पर बैठने के आरोपों का जवाब दिया। गृह मंत्री ने संसद में तस्वीरें दिखाईं कि वह नहीं थे, लेकिन पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और फिर राजीव गांधी उस कुर्सी पर बैठे थे।
उन्होंने आगे कहा कि अगर वह सदन में बात करते हैं, तो उन्हें बात करने से पहले तथ्यों को देखना चाहिए। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि अगर हम इसे सोशल मीडिया से उठाकर यहां रखेंगे तो यह सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाता है।
शाह ने ताना मारते हुए कहा, लेकिन मुझे इसमें उनकी गलती नहीं दिखती, क्योंकि उनकी पार्टी के इतिहास के कारण उन्होंने गलती की। मैं उस कुर्सी पर नहीं बैठा हूं, मेरे पास दो तस्वीरें हैं जिनमें जवाहरलाल नेहरू उस कुर्सी पर बैठे हैं जहां टैगोर बैठते थे। दूसरी फोटो राजीव गांधी की है, वो टैगोर साहब के सोफे पर बैठे हैं, आराम से चाय पी रहे हैं।

शाह ने कहा कि पार्टी की पृष्ठभूमि के कारण, उन्हें गलतफहमी हो सकती है, लेकिन मेरा अनुरोध है कि रिकॉर्ड को स्पष्ट किया जाए और मैं इसे अधीर रंजन चौधरी की अपील पर सदन के पटल पर रखना चाहता हूं ताकि यह रिकॉर्ड हमेशा के लिए बंद हो जाए। शाह का एक हिस्सा बनने के लिए कहा गया है कि रिकॉर्ड को ठीक किया जाना चाहिए और शांति निकेतन के कुलपति के पत्र और तस्वीर को मेज पर रखा जाना चाहिए।
आपको बता दें कि अमित शाह ने हाल ही में बंगाल का दौरा किया था, उस समय सोशल मीडिया पर ऐसी बातें कही गई थीं कि शांतिनिकेतन की यात्रा के दौरान अमित शाह टैगोर की कुर्सी पर बैठे थे। केवल कांग्रेस ही नहीं, तृणमूल कांग्रेस के नेता भी दावे और आरोप लगा रहे थे। स्थानीय नेताओं ने आलोचना शुरू कर दी थी कि इसे ध्यान में रखा जाना चाहिए कि कोई भी गुरुदेव की कुर्सी पर बैठकर टैगोर नहीं बन सकता। विरोध प्रदर्शन की भी बात हुई। कुछ लोगों ने बंगाल की संस्कृति को जानने या समझने की बात नहीं की। कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी कल इसी तरह के आरोप लगाए थे। आज लोकसभा में शाह ने ऐसे आरोपों का स्पष्ट रूप से खंडन किया।