
भले ही चीन पीछे हट गया हो, लेकिन उसके 10,000 से अधिक सैनिक एलएसी के साथ तैनात हैं। चीनी सैनिकों के जवाब में, भारतीय सेना भी तैयार है, भारत के दस से बारह हजार सैनिकों की एक अतिरिक्त टुकड़ी एलएसी पर खड़ी थी।
जब चीन लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कदम बढ़ाता है तो वार्ता आगे बढ़ गई है। कल यानि बुधवार को मेजर जनरल स्तर की वार्ता लगभग 4 घंटे तक चली। चीन के साथ वार्ता आज भी जारी रहेगी, हालाँकि वार्ता का स्तर और स्थान अभी तक स्पष्ट नहीं है। कल की बातचीत को सकारात्मक बताया गया था।
बताया जा रहा है कि भले ही चीन पीछे हट गया हो, लेकिन उसके 10,000 से ज्यादा सैनिक एलएसी के साथ तैनात हैं। चीनी सैनिकों के जवाब में, भारतीय सेना भी तैयार है, भारत के दस से बारह हजार सैनिकों की एक अतिरिक्त टुकड़ी एलएसी पर खड़ी थी। जब तक चीन अपनी सेना को वापस नहीं लेता, तब तक भारतीय सेना पीछे नहीं हटेगी।
कर्नल, ब्रिगेडियर और मेजर जनरल सहित चीन के साथ बातचीत के कई स्तर हैं। वार्ता में, पेट्रोलिंग प्वाइंट 14, पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और 17 पर तनाव कम करने के लिए एलएसी पर बात होगी। बुधवार को हुई बातचीत में मेजर जनरल स्तर के अधिकारी आमने-सामने थे।
6 जून को हुई दोनों देशों की बातचीत में कमी जरूर आई, लेकिन चीन का रवैया नहीं बदला। हम कुछ कदम पीछे हट गए, लेकिन हम में से कुछ, लेकिन पेंच अभी भी उंगली -4 पर अटका हुआ है। इसकी वजह से पैंगोंग झील में तनाव बना हुआ है। भारत सरकार दावा करती रही है कि पैंगॉन्ग के किनारे फिंगर 1 से फिंगर 8 तक के सभी क्षेत्र भारत के हैं।
चीन यह स्वीकार नहीं करता है कि पैंगोंग झील के पास फिंगर क्षेत्र में भारतीय तरफ से एक सड़क का निर्माण किया जाना चाहिए। यही नहीं, चीन ने गालवन घाटी में दरबूक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी सड़क को जोड़ने वाली एक अन्य सड़क के निर्माण पर भी अड़चनें डालीं। इसको लेकर ही विवाद है।