चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष में शहीद हुए कर्नल संतोष बाबू की मां मंजुला ने कहा कि उन्हें अपने बेटे को खोने का गम था, लेकिन देश के लिए अपने सर्वोच्च बलिदान पर गर्व भी था। दूसरी ओर, कर्नल बाबू ने भी अपने पिता के देश की सेवा के सपने को पूरा किया। उनके पिता स्वयं सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करना चाहते थे।

शहीद बाबू के पिता बी.सी. उपेंद्र ने कहा, ‘मैं खुद सेना में शामिल होना चाहता था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका और मुझे बैंक की नौकरी करनी पड़ी, इसलिए मैंने अपने बेटे को रिश्तेदारों से असहमति के बावजूद सेना में भेजा।’
गौरतलब है कि शहीद और घायल जवान बिहारी रेजिमेंट के हैं। तेलंगाना के निवासी शहीद कर्नल संतोष बाबू भारतीय दल का नेतृत्व कर रहे थे। गालवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़पों में भारतीय सेना के 20 सैन्यकर्मी मारे गए हैं। साथ ही इस लड़ाई में चीन के 40 से अधिक सैनिक भी मारे गए और घायल हुए।
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.आर. कर्नल बाबू और उनके परिवार के सदस्यों की शहादत पर संवेदना व्यक्त करते हुए चंद्रशेखर राव ने कहा कि उनकी सरकार शहीद परिवार के साथ थी। उन्होंने कैबिनेट मंत्री जगदीश रेड्डी को राज्य सरकार का प्रतिनिधि बनाते हुए पूरे सम्मान के साथ शहीद के दाह संस्कार की जिम्मेदारी दी है। कर्नल बाबू, 16 बिहार बटालियन में कमांडिंग ऑफिसर के रूप में तैनात थे, जो तेलंगाना के सूर्यपेट जिले के निवासी थे
शहीद की मां मंजुला व्याकुल हैं, फिर भी उन्हें अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। उन्होंने कहा कि उन्होंने रविवार रात कर्नल बाबू से बात की थी। उन्होंने सीमा पर तनाव पर चर्चा की और बेटे को सतर्क रहने के लिए कहा। कर्नल बाबू के परिवार को मंगलवार दोपहर उनकी शहादत की सूचना दी गई। उनका पार्थिव शरीर बुधवार तक सूर्यपेट पहुंच जाएगा।